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क्षत्रियों के खिलाफ एक थ्योरी एक साजिश

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 एक नियम है इस धरती पर कि अगर किसी को हराना है तो उसकी मानसिक स्थिति को हरा दो इससे बडा से बड़ा शूरवीर हार जाएगा कूटनीतिज्ञ नियम यह भी है कि जब किसी से बराबरी ना कर सको तो उसे नीचा दिखाना शुरू कर दो उसमें कमियां निकालना शुरू कर लो अपने आप कुछ दिन बाद समाज में एक ऐसा माहौल बन जाएगा कि लोगों को उसमें कमियां दिखने लगेगी क्योंकि झूठ को भी अगर बार बार बोला जाए तो वह सच दिखने लगता है यही सब वर्तमान में भी क्षत्रिय समाज के साथ हो रहा है और यह बहुत कुटिल राजनीति का हिस्सा है,  ऐसा नहीं है कि इस नियम का उपयोग अभी शुरू हुआ है यह थ्योरी अंग्रेजों ने भी क्षत्रियो के खिलाफ उपयोग की थी जब अंग्रेज भारत आए उन्होंने भारत की संपन्नता को देखा तो उनके मन में जलन शुरू हुई और उन्होंने फिर यही खेल खेला उन्होंने हमारे इतिहास विज्ञान पर उंगली उठानी शुरू कर दी जिसमें वह कुछ हद तक कामयाब भी रहे।  इस थ्योरी का प्रयोग सबसे गंदे तरीके से प्रयोग जनतंत्र में शुरू हुआ जब क्षत्रियो को और उनके इतिहास की बराबर ना करने की वजह से उन पर आरोप लगने शुरू हुए क्षत्रियों के महाकाव्य रामायण महाभारत जैसे ...

जालौर के सोनगरा वीरमदेव जी का इतिहास

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* राई रा भाव रात बीत ग्या *      " राई दे दो सा...राई  आज आधी रात तक मुंह मांग्या दाम है सा        राई दे दो सा...राई घुड़सवार नगाड़े बजाते हुए जालौर के बाजार की गलियों मे घूम रहे थे लोग अचंभित थे लेकिन राई के मुंह मांगे दाम मिल रहे थे इसीलिए किसी ने इस बात पर गौर करना उचित नहीं समझा की  आखिर में एकाएक राई के मुंह मांगे दाम क्यों मिल रहे हैं!  शाम होते-होते शहर के हर घर से राई गुड सवारों ने खरीद ली थी अगली सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही दुर्ग से अग्नि ज्वाला की लपटें उठती देख लोगों का अंदेशा हो गया था आज का दिन जालौर के इतिहास के पन्नों में जरूर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाने वाला है या जालौर की प्रजा के लिए काला दिवस साबित होने वाला है  प्रातः दुर्ग में दासी ने थाली में गेहूं पीसने से पहले साफ करने थाली में लिए ही थे कि अचानक थाली में पड़े गेहूं में हलचल हुई ।  फर्श पर पड़े गेहूं से भरी थाली में अचानक कंपन होने लगी।  दासी को भारी अनिष्ट की आशंका हुई। दासी दौड़ती हुई राजा  कान्हड्देव के पास गई और थाली में कंपन वाली बा...