राजा मानसिंह राजपुत की कुछ जानकारिया ।
क्या आप जानते हैं राजा मानसिंह ने अकबर का साथ क्यों दिया
जी हा यह वही राजा मान सिंह है जिन्होने अकबर का साथ दिया था!
लेकिन सच इतना ही नही है ये आधा सच है जो हमे वामपंथियो ने पढाया है
मानसिंह को अकबर के पास क्यों जाना पड़ा।
मेवाड तुर्कों- पठानोंं से मित्रता किए हुए था पठान आमेर को भी घेर रहे थे पठानों की मान सिंह जी के साथ शत्रुता थी क्योंकि लाखों मंदिर पठान तोड़ चुके थे और उनके राज्य पर भी पठानों की नजर थी
एक बात आपको यहाँ बता देते हैं की पृथ्वीराज चौहान के हत्यारे रानी पद्मिनी जी रानी कर्णावतीजी का जोहर इन पशुओं के कारण हुआ था जी हा यह पठान और तुर्क ही थे।
और जब महाराणा उदय सिंह ने मालवा के सुल्तान बाज बहादुर का साथ और शरण दिया उसी वक्त तय था अकबर और आमेर की संयुक्त सेना मेवाड़ पर आक्रमण करेगी।
अगर आमेर परिवार / राजा मानसिंह जी गलत होते तो मेवाड़ की पुत्र वधू महिमामयी देवी मीराबाई आमेर कभी नहीं पधारती तुलसीदास जी राजा मान सिंह जी के गुरु /मित्र नहीं होते आजा चैतन्य महाप्रभु की पुस्तकें पढ़ पाते हैं उसका प्रचार सबसे ज्यादा मान सिंह जी ने करवाया था क्या आप सभी अपने आपको मीराबाई संत तुलसीदास जी और वह चैतन्य महाप्रभु के विचारों से भी खुद को बड़ा कट्टर हिंदू मानते हैं
जब यह धर्म भक्त राजा मान सिंह के साथ थे तो आपको कोई अधिकार नहीं है उनका अपमान करने का हमारा और आपका कोई अधिकार नहीं बनता है उनका अपमान करें।
आप और हम हल्दीघाटी युद्ध के बारे में जानते कितना है आपको शायद यह भी ध्यान नहीं होगा कि हल्दीघाटी का युद्ध हल्दीघाटी के मैदान में हुआ ही नहीं था ये युद्ध खमनोर में हुआ था हल्दीघाटी का युद्ध जिसे कहा जाता है वह खमनोर हल्दीघाटी से 7 किलोमीटर दूर पड़ता है
उसी वर्ष राजा मानसिंह ने गुजरात अभियान चलाया था
जिससे तुर्कों और पठानों की गुजरात सत्ता को उखाड़ा जा रहा था।
उसी वर्ष राजा मानसिंह ने बंगाल सल्तनत ( यूपी बिहार झारखंड और मयांमार तक) को उखाडा जा रहा था।
इन दोनों सल्तनत मैं लगभग भारत की 75 परसेंट उपजाऊ भूमि थी राजा मानसिंह उसी को आजाद करवा रहे थे।
बिहार बंगाल से तुर्को को बुरी तरह खदेड़ा गया था बंगाल सल्तनत के राजा दाऊद खान का सिर काटा गया वही उसी बंगाल सल्तनत का बिहारी पठान मुसलमान हाकीम खां सूर था जो राजा मानसिंह जी से बदला लेने के लिए बिहार से मेवाड़ आया था बिना सोचे समझे हम हिंदू उसको धर्म रक्षक कहते आए हैं हकीम खान सुर इतना ही धर्म रक्षक था तो चित्तौड़ की 1568 की लड़ाई में मदद करने को नहीं आ जाता ?
शेरशाह सूरी मामूली सा सेनापति था उसने मुसलमानों की मदद से सत्ता खड़ी की और बिहार से आकर राजस्थान तक मंदिर तोड़कर गया उसी का वंशज हकीम खान सूर था. ..
यहां अगर मेवाड़ पठानों से मित्रता करके दोषी नहीं है तो जयपुर नरेश राजा मानसिंह अकबर से दोस्ती करके कैसे दोषी हो गए ।
इसके उलट अकबर के नाम एक भी मंदिर तोड़ने का रिकॉर्ड नहीं है दूसरी ओर पठानों का जन्म मंदिरों को तोड़ने के लिए ही हुआ था।
अहमदाबाद का भद्रकाली मंदिर
जौनपुर का अटाली देवी मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर गुजरात
बौद्ध गया
जगन्नाथ पुरी मंदिर
जैसे मंदिरों को अपवित्र करने वाले पठान हीं थे मुगल नहीं।
क्या मान सिंह मेवाड़ के साथ होते तो हिंदू जीत जाते हैं?
इसके बारे में आगे विस्तार से बताएंगे अगले लेख में इसी तरह इतिहास की जानकारी के लिए हम से जुड़े रहिए अगले पोस्ट मे
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